महात्मा गांधीजी की जीवनी (Mahatma Gandhi Biography In Hindi)

महात्मा गांधीजी की जीवनी (Mahatma Gandhi Biography In Hindi)
By Elliott & Fry (see [1]) – http://philogalichet.fr/wp-content/uploads/2019/01/Gandhi_Photo-Alamy.jpg, Public Domain, https://commons.wikimedia.org/w/index.php?curid=76882768

नमस्ते दोस्तों आज हम महात्मा गांधीजी की जीवनी (Biography Mahatma Gandhi In Hindi) लिखेंगे हमारे इस ब्लॉग पर आपको 10 पंक्तियाँ,  निबन्ध, किताब के प्रश्न-उत्तर और अन्य कई प्रकार की जानकारी मिलेगी

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महात्मा गांधीजी की जीवनी (Mahatma Gandhi Biography In Hindi)



जीवन परिचय 

जन्म  2 अक्टूबर 1869 पोरबन्दर (गुजरात)
मृत्यु  30 जनवरी 1948 गाँधी 
पूरा नाम  मोहनदास करमचंद गाँधी
माता- पिता  करमचंद गाँधी, पुतलीबाई करमचंद गांधी
पत्नी  कस्तूरबा गांधी
शिक्षा  अल्फ्रेड हाई स्कूल, राजकोट, यूनिवर्सिटी कॉलेज, लन्दन
संतान  हरिलाल मोहनदास गांधी, मणिलाल गाँधी, रामदास गांधी, देवदास गांधी
स्मारक   राज घाट, नई दिल्ली

महात्मा गांधी जी का जीवन परिचय (Early Life of Mahatma Gandhi)


राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी जी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर ग्राम में हुआ गांधीजी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गाँधी था  

वे साधारण परिवार से थे, गाँधी जी के पिताजी का नाम करमचंद गांधी था और वे अंग्रेजो सरकार के लिए दीवान पद पर कार्य करते थे।

महात्मा गांधी जी की माता का नाम पुतलीबाई था, वे  सरल स्वभाव की एक धार्मिक महिला थीं। उनका अधिकतर समय भगवान् की भक्ति करने में बीतता था

गांधी जी की महज 13 वर्ष आयु में कस्तूरबा बाई से शादी हो गयी लोग उन्हें प्यार से “बा” कहकर पुकारते थे।महात्मा गाँधी जी के चार संतान थी हरीलाल गान्धी , मणिलाल गान्धी , रामदास गान्धी और देवदास गांधी

गाँधी के घर का माहौल भक्ति और भजन से हमेशा भरा रहता था। जिसने गाँधी जी को शाकाहारी जीवन, आत्मशुद्धि के लिये उपवास करना और आचार, विचार और अच्छे कर्मो की और ले जाने में को कसार नहीं छोड़ी।


महात्मा गाँधी जी की शिक्षा (Mahatma Gandhi’s Teachings)


गाँधी जी ने अपनी पढाई की शुरुआत पोरबंदर के मिडिल स्कूल से की और राजकोट से हाई स्कूल पास की। इसके बाद उन्होंने नवंबर, सन 1887 मैट्रिक पास की। जनवरी, सन 1888 में उन्होंने भावनगर के सामलदास कॉलेज से डिग्री प्राप्त की. 

गाँधी जी ने विदेश जाने से पहले अपनी माता को वचन दिये की वे मांसा, शराब का सेवन नहीं करेंगे और गलत विचारो को भी त्याग देंगे

4 September, 1888 को गाँधी जी ने लन्दन में यूनिवर्सिटी कॉलेज से कानून की पढाई पूरी करने के बाद वे बैरिस्टर बनने के लिये इंग्लैंड चले गये।

गांधी जी ने सन् 1891 में वकालत की पढाई पूरी करने के बाद वे वापस भारत लौट आ आये। गाँधी जी के जीवन में कई ऐसे बदलाव आये जिन्होंने उनकी सोच को इस तरह प्रभावित किया की उन्होंने मानव सेवा को अपना प्रथम लक्ष्य बना लिया


दक्षिण अफ्रीका में नागरिक अधिकारों के आन्दोलन 


गाँधी जी जब दक्षिण अफ्रीका की यात्रा कर रहे थे तब रंग भेद के कारण उनको रेल की प्रथम श्रेणी की बोगी से नीचे उतार दिया गया यहाँ तक उनको होटल में भी रहने को नहीं मिला

अपने साथ ऐसा व्यवहार देख उन्होंने सोचा जब उनके साथ ही ये हो रहा तो दक्षिण अफ्रीका में रहने वाले अन्य भारतीयों को भी ये सब झेलना पड़ रहा होगा

इन सभी घटनाओ ने गाँधी जी को अन्याय के प्रति लड़ने के लिए जागरूक किया और यही से उन्होंने अपने देश और अपने देश वासियों के सम्मान के लिए अंग्रेजो के आन्दोलन शुरू किये। सन 1916 में गांधीजी दक्षिण अफ्रीका से भारत वापस लौटे। 


गाँधी जी की ज़ुलु युद्ध में भूमिका


अंग्रेजो के जुलू युद्ध में गाँधी जी ने अपनी भूमिका निभाते हुए भारतीय लोगो की भर्ती करने के लिए अंग्रेजो को मनाया

मगर अंग्रेज अधिकारीयों ने गाँधी जी की बात नहीं मानी मगर फिर वे इसके लिए राजी हो गये गाँधी जी चाहते थे की भारतीय लोग युद्ध में घायल अंग्रेज सैनिको का स्टेचर पर ले जाने और उनका इलाज करने में सहयोग करें


महात्मा गांधी द्वारा किए गए आंदोलनों की लिस्ट सूची


प्रमुख आंदोलन अन्य आंदोलन / प्रारंभिक चरण के आंदोलन
  • सन 1920 में -: असहयोग आंदोलन [Non Co-operation Movement],
  • सन 1930 में -: अवज्ञा आंदोलन / नमक सत्याग्रह आंदोलन / दांडी यात्रा [Civil Disobedience Movement / Salt Satyagrah Movement / Dandi March],
  • सन 1942 में -: भारत छोड़ो आंदोलन [Quit India Movement].
  • सन 1920 में -: असहयोग आंदोलन [Non Co-operation Movement],
  • सन 1930 में -: अवज्ञा आंदोलन / नमक सत्याग्रह आंदोलन / दांडी यात्रा [Civil Disobedience Movement / Salt Satyagrah Movement / Dandi March],
  • सन 1942 में -: भारत छोड़ो आंदोलन [Quit India Movement].

सन 1918 में चंपारण और खेड़ा आन्दोलन 


चम्पारन खेड़ा सत्याग्रह में अंग्रेजो ने लोगो को जरूरी खाद्य फसलों को बोने के बजाए नील (indigo) खेती के लिए जोर डाला क्योंकि नील की बिक्री एक निश्चित कीमत पर होती थी और किसान ऐसा नहीं चाहते थे ।   

जमींदारों भी अंग्रेज से मिली हुए रहते थे जिसके दम पर वे भारतीय किसान को नाममात्र भत्ता देते थे। जिससे वे गरीबी होते गये। 

गरीबी के कारण गांवों में बुरी तरह गंदगी हो गयी लोग अस्वास्थ्य रहने लगे और इसके बाद अकाल पड़ने पर वहा के लोगो पर शाही कोष की भरपाई का बोझ डाल दिया गया

तब वे मदद के लिए गाँधी जी के पास गये गाँधी जी ने इसे समाप्त करने के लिए उसी गाँव में एक आश्रम बनाया और अपनी इच्छा से मदद करने वाले समर्थको को संगठित किया

इसके बाद उन्होंने गाँव के लोगो में विश्वास पैदा किया और अंग्रेजो के खिलाफ लड़ने के लिए प्रेरित किया इसके साथ उन्होंने गाँव की सफाई की और स्कूल और अस्पताल बनवाए

इसी दौरान उनको अशांति फ़ैलाने के जुर्म में गिरफ्तार कर लिया गया। जिसके बाद हजारो लोगो ने विरोध प्रदर्शन किया और गाँधी जी को बिना शर्त के रिहा करने को कहा

इस विरोध और प्रदर्शन में गाँधी जी ने किसानों को अधिक क्षतिपूर्ति मंजूर करने तथा खेती पर नियंत्रण, राजस्व में बढोतरी को रद्द करना लिए अंग्रेज सरकारों को मजबूर कर दिया। जिसे सरकार को मानना पड़ा इस तरह से गांधीजी के ये आन्दोलन सफल हुआ


असहयोग आन्दोलन (Non Cooperation Movement)


असहयोग आन्दोलन का अर्थ था की अंग्रेजो को किसी भी प्रकार का सहयोग नहीं देना। गाँधी जी अपने सभी आन्दोलन में अहिंसा और शांति का प्रयोग एक हथियार की तरह अंग्रेजो पर करते थे।

मगर जलियावाल हत्याकांड होने के बाद और उससे हुई हिंसा ने गाँधी जी का मन बदल दिया और उन्होंने भारत को पूर्ण स्वराज दिलाने का लक्ष्य बनाया

गाँधी जी ने हर उस वस्त्र और वास्तु का भविष्कार किया, जिसे अंग्रेजो लोगो बनाते थे। गाँधी जी ने लोगो से अपील की और कहा की आप सभी अपने हाथो से खादी वस्त्र बनाकर पहने

असहयोग आन्दोलन को दूर दूर से अपील और सफलता मिली जिससे लोगो में जोश और भागीदारी बढ गई।  मगर 1922 में चौरी-चौरा कांड से हुई हिंसा के कारण जी ने असहयोग आन्दोलन को वापस ले लिए

इसके बाद गाँधी जी को राजद्रोह के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया मगर 1924 में उनको आंतो के आपरेशन के लिए जेल से रिहा कर दिया गया


चौरी-चौरा कांड


जिस समय असहयोग आन्दोलन पुरे अहिंसात्मक तरीके से आगे बढ़ते हुए सफल हो रहा था उसी समय चोरी -चौरा कांड हुआ। चोरी-चौरा नामक जगह पर शांतिपूर्ण तरीके से रैली निकली जा रही थी 

तब अंग्रेजी सैनिकों ने रैली पर अंधाधुध गोलिया चलाना शुरू कर दिए जिसके फलस्वरूप कई लोगो की लोगों की मौत हो गयी।

इसके बाद गुस्से में लोगो ने पुलिस चौकी में आग लगा दी, जिससे चौकी में उपस्थित 22 सैनिकों की जलने से मौत हो गयी। इस हिंसात्मक कार्य के कारण असहयोग आंदोलन वापस ले लिया था


 सन 1930 में : सविनय अवज्ञा आंदोलन (Civil Disobedience Movement)


 इस आंदोलन का उद्देश्य था ब्रिटिश सरकार द्वारा जो भी नियम कानून बनाये जाये, उन्हें नहीं मानना है और उनकी अवहेलना करना है

उदहारण के लिए  -: ब्रिटिश सरकार ने कानून बनाया था कि कोई भी नमक नहीं बनाएगा मगर गाँधी जी ने  12 मार्च, सन 1930 को अपने हाथो से नमक बनाकर इस कानून को तोडा दिया


स्वराज और नमक सत्याग्रह (नमक मार्च) (Namak Satyagraha)


अंग्रेज लोग अपनी मर्जी से किसी भी चीज पर कर लगा कर जनता पर बोझ लाद दिया करते थे इसी तरह अंग्रेजो ने नमक पर कर लगा दिया नमक पर कर लगाने के विरोध में गाँधी जी ने सत्याग्रह किया

12 मार्च से 6 अप्रेल तक नमक आंदोलन करने के बाद गाँधी जी ने 4०० किलोमीटर की पैदल यात्रा करके अहमदाबाद से दांडी पहुंचे यहाँ पर गाँधी जी ने स्वयं के हाथो से नमक बनाकर ब्रिटिश कानून का विरोध किया


गांधी के सिद्धान्त (Gandhi’s Principles)


  • सत्य
  • अहिंसा
  • शाकाहारी रवैया
  • ब्रह्मचर्य
  • सादगी
  • विश्वास

गाँधी जी द्वारा लिखी गयी पुस्तके (Books Written by Gandhiji)


  • हिंद स्वराज
  • दक्षिण अफ्रीका के सत्याग्रह का इतिहास
  • सत्य के प्रयोग  
  • आत्मकथा

गाँधी जी की हत्या


देश को आजादी मिलने के कुछ दिनों बाद भी 30 जनवरी 1948 नाथूराम गोडसे ने महात्मा गाँधी जी के गोली मार के हत्या कर दी वो गाँधी दी द्वारा भारत के बंटवारे के निर्णय के खिलाफ था उसके बाद उसे फंसी की सजा हो गयी 

गाँधी जी की समाधी राज घाट, नई दिल्ली, में स्थित है ऐसा बोला जाता है की हे राम ये गाँधी जी की मृत्यु के समय उनके मुख से निकले आखरी शब्द थे

तो दोस्तों ये थी महात्मा गाँधी जी की जीवनी उम्मीद करता हूँ आपको महात्मा गांधीजी की जीवनी(Biography Mahatma Gandhi In Hindi) आपको जरुर पसंद आई होगी अगर पसंद आये तो अपने दोस्तों के साथ जरुर शेयर करें

                                                        धन्यवाद                                         

जय हिन्द जय भारत  

18 thoughts on “महात्मा गांधीजी की जीवनी (Mahatma Gandhi Biography In Hindi)”

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