मेरा प्रिय मित्र पर निबंध हिन्दी में (My Best Friend Essay In Hindi)

मेरा प्रिय मित्र पर निबंध हिन्दी में (My Best Friend Essay In Hindi)

नमस्ते दोस्तों आज हम मेरा प्रिय मित्र पर हिन्दी में निबंध ( Essay on My Best Friend In Hindi) लिखेंगे दोस्तों यह मेरे प्रिय मित्र पर निबंध (Kids) class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12  और College के विद्यार्थियों के लिए लिखे गए है।

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मेरा प्रिय मित्र पर ही हिन्दी में निबंध में ( Essay on My Best Friend In Hindi)


प्रस्तवना


हम अपने जीवन में सधाहरणतय काफी सारे दोस्तों बनाते है लेकिन हर समय हमे ये अहसास जरुर होता है की काश कोई ऐसा मित्र हो जो आवश्यकता पड़ने पर मेरी मदद के लिए हमेशा मेरे साथ रहे जिससे में अपने मन की हर बात बोल सकें।  

मित्रता करना आसान है मगर उसे निभाना आसान नहीं है क्योंकि सच्चा मित्र वही होता है जो स्वार्थ के लिए नहीं बल्कि साथ निभाने के लिए मित्रता करता हो और मुसीबत आने पर अपना भला नहीं सोचता हो।

अक्सर हमारा मन सच्चे मित्र की तलाश में हमेशा रहता है इसलिए हमे सभी को अच्छा समझ लेते है और उन्ही को सच्चा मित्र मान लेते है मगर अधिकतर लोग केवल अपना स्वार्थ पूरा करने के लिए मित्रता करते है और समय आने पर दुरी बना लेते है।

वैसे तो सच्चे दोस्तों की पहचान करना आसान नहीं होता है मगर जैसे जैसे समय गुजरता है उसके साथ रहते है और उसके स्वभाव से जब हम रूबरू होते है उसी से हमे पता चल जाता है। वैसे एक बार में हमे सच्चा दोस्तों नहीं मिलता है। इसके लिए हमे सभी को परखना पड़ता है तब जाकर हमे सही और सच्चा दोस्त मिलता है।


मेरा प्रिय मित्र


मेरे सबसे अच्छे दोस्त का नाम सुरेंद्र है हालांकि हम बचपन के दोस्त नहीं है। वैसे तो स्कूल में मेरे कई सारे दोस्त है जिनके पास कभी ना कभी बैठता था। ठीक इसी तरह से मैं सुरेंद्र के साथ बैठता था मगर धीरे धीरे में उसके साथ कब घुल मिल गया पता नहीं चला।

अब हम दोनो साथ साथ पढ़ाई करते है। आज हमारी दोस्ती को 5 साल हो गए है मगर अब पहले से ज्यादा एक साथ रहते है और अब मुझे ये अहसास हो गया है की जिस सच्चे दोस्त की मुझे तलाश थी वो दोस्त सुरेंद्र है।

सुरेंद्र में वो सभी अच्छी बातें है जो एक सच्चे दोस्त में होनी चाहिए और जो मैं हमेशा चाहता था। भगवान को मै धन्यवाद देता हूं की उन्होंने सुरेंद्र जैसे सच्चे दोस्त से मेरी दोस्ती करवाई और मेरा विश्वास है कि ये दोस्ती हमेशा ऐसे ही मजबूत रहेगी क्योंकि दोस्ती विश्वास पर टिकी होती है।


मेरे प्रिय मित्र की अच्छी बातें


सुरेंद्र को देखकर कभी मुझे नही लगा की वो इतना अच्छा है। अमीर परिवार से होने के बावजूद वो मेरे से दोस्ती करेगा। उसमे बिल्कुल अहम की भावना नहीं है।

उसके परिवार के सभी लोगो पढ़े लिखे है और संस्कार के मामले में वे कठोर है। यही गुण मेरे दोस्त सुरेंद्र में भी है इसलिए वो मेरा सबसे अच्छा और सच्चा दोस्त है।

कभी कोई बात होती है तो सुरेंद्र मुझे निराश नहीं होने देता है बल्कि मुझमें आत्मविश्वास जगाकर मुझे प्रेरित करता है वो जब बात करता है ऐसा लगता है जैसे घर का सदस्य है।

विद्यालय की सभी प्रतिक्रियां में वो हमेशा भाग लेता है और मुझे भी इसमें सहायता करता है ताकि में भी उसी की तरह मेघावी छात्र बन कर आगे बढ़ सकूँ। 

पढाई में भी वो हमेशा मेरी मदद करता है। अगर मुझे पढाई में कुछ परेशानी आती है तो वो मुझे अच्छे से समझाता है और मै जिस विषय में कमजोर हूँ उस विषय में मेरी पूरी सहायता करता है।

सुरेन्द्र हमेशा सच का साथ देता है उसके सामने चाहे कितनी भी पड़ी परेशानी क्यों ना आये वो सच का साथ नहीं छोड़ता है। अगर वो गलती भी करता है तो उसे स्वीकार करता है। ये ही बाते होती है जो एक सच्चे दोस्त की पहचान करवाती है।

हम दोनों अक्सर एक दुसरे के घर आते जाते रहते है और साथ बैठकर ढेर सारी बाते करते है समय कब बीतता है पता नहीं चलता बहुत देर रुकने के बाद भी सुरेंद्र मुझे घर नहीं जाने देता और मेरा भी मन घर जाने का नहीं करता है।

सुरेन्द्र मेरे मन को मुझ से भी ज्यादा पहचनता है जब भी मुझे कभी कोई दुविधा होती है तो उसे पता चल जाता है और जब में उसे बताता हूँ तो वो मुझे अच्छी सलाह देता है उसकी ऐसी कई खूबियों के कारण हमारी दोस्ती का रिश्ता मजबूत होता चल गया।


मदद के लिए हमेशा तैयार


सुरेन्द्र मेरी ही नहीं वो सभी की मदद करता है। काम के लिए कभी मना नहीं करता है। जब मै कुछ दिनों के लिए दिल्ली चला गया था तब मेरे घर पर जरुरी काम हो गया था।

ऐसी स्थति में जब मेने मेरे दोस्त सुरेद्र को फ़ोन किया और घर पर कुछ काम में मदद करने के लिए कहा तब वो तुरंत ही अपनी मोटरसाइकिल लेकर घर पहुँच गया और उसने मम्मी पापा के काम में मदद की।

अभी भी मुझे कई बार मदद की जरूरत होती है तो वो फाटक से मुझे अपनी मोटरसाइकिल पर बैठकर मेरे मदद के लिए निकल पड़ता है और इसी वजह से दिन प्रति दिन मेरे दिल में सुरेन्द्र के लिए और इज्जत बढ़ती चली गयी।


मिलनसार रवैया


मेरा दोस्त सुरेन्द्र जब वो किसी से बात करता है तो किसी को ऐसा नहीं लगता की उससे वो पहली बार मिल रहा है ऐसा लगता है जैसे उसे पहले से ही जनता है। सुरेन्द्र के अच्छे व्यवहार से सभी बहुत प्रभावित होते है इसलिए सभी उसके दोस्त बनना पसंद करते है यही मेरी दोस्त की खूबी है।


विश्वासपात्र दोस्तों


जब दोस्त सच्चा होता है तो वो विश्वास करने योग्य होता है। ठीक वैसे ही सुरेन्द्र हमेश सच बोलता है कभी झूट का साथ नहीं देता है ना ही कभी कोई बात मेरे से छुपता है।

जब कभी कोई भी बात होती है तो वो मुझे बताता और में भी उससे कोई बात नहीं छुपता हूँ हर बात उससे शेयर करता हूँ। हम एक दुसरे पर आँख बंद करके विश्वास करते है। सच्ची दोस्ती के पीछे झूट और निजी बातो का कोई महत्त्व नहीं होता है।


अच्छा मार्गदर्शक


सुरेन्द्र की दोस्ती से पहले मुझे में कुछ बुरी आदते थी मगर जब मेरी दोस्ती हुई और उसे मेरी आदतों के बारे में पता चला तो उसने मुझे समझाया और बुरी आदतों से होने वाले नुकसान के बारे में बताया।

अधिकतर लोग अच्छी आदते डालने की जगह बुरी आदते डालने का मौका नहीं छोड़ते है। वे अपनी जैसे बनाने में लगे रहते है मगर सुरेन्द्र ऐसा नहीं है, वो सभी का भला चाहता है और कभी किसी का बुरा नहीं करता है अगर कोई गलत करता है तो उसे समझाता है।

हमे कभी कोई समस्या होती है तो उससे लड़ने के लिए हमे एक अच्छे मार्गदर्शक की जरूत होती है ये काम केवल एक अच्छा दोस्त ही कर सकता है।

मुझे जब कभी कोई दिक्कत होती है तो सुरेन्द्र मुझे निराश नहीं होने देता है और मुसीबत से लड़ने के लिए प्रेरित करता है जो केवल एक सच्चा दोस्त ही कर सकता है इन सभी खूबियों के कारण आज हमारा रिश्ता भाई जितना गहरा हो गया है।

जब मै किसी परेशानी का हल में स्वंय नहीं निकाल पाता हूँ तो मै अपने माता पिता और अपने दोस्त सुरेन्द्र से सलाह लेता हूँ उनकी सलाह से मै हर मुसीबत से बहार निकाल जाता हूँ।


हमारी दोस्ती अमीरी गरीबी से परे


मै गरीब परिवार से हूँ जबकि सुरेन्द्र अमिर परिवार से है इसलिए उसके दोस्त भी उसी की तरह अमीर परिवार से है मगर उसके लिए सब एक सामान है।

दोस्ती का अमीरी गरीबी का को सम्बन्ध नहीं होता क्योंकि दोस्ती का रिश्ता दिल से होता है और ये बात सुरेन्द्र की दोस्ती से पता चलती है।

सुरेन्द्र ने मेरे परिवार की स्थति को देखने के बाद भी मुझसे दोस्ती की क्योंकि वो दोस्ती का सही अर्थ जानता है। मेरी पढाई के लिए उसने अपने माता पिता को बताया। सुरेन्द्र के माता पिता भी बहुत दयालु है। उन्होंने पढाई का खर्च उठाने में मेरी सहायत की।

कृष्ण और सुदामा की मित्रता को पूरी दुनिया जानती है। ठीक वैसे ही दोस्ती मेरी और सुरेन्द्र की है। जिसका अमीरी गरीब से कोई मेल नहीं है। 

जिस तरह सुरेन्द्र मुझे और मेरी स्थति को समझता है मै भी दुसरे व्यक्ति की स्थति और उनके दुःख को समझता हूँ इसलिए जब भी हमे लगता है की किसी को मदद की जरूरत है तो हम दिल खोलकर उनकी मदद करते है जिससे हमे असीम शांति का अनुभव होता है।


उपसंहार


प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में एक सच्चे मित्र की आवश्कता होती है क्योंकि व्यक्ति अकेले सब कुछ नहीं कर सकता है कही ना कही उसको किसी के साथ की जरूरत होती है, जो काम केवल एक सच्चा मित्र ही कर सकता है। जिस तरह इन्सान ठोकर खाकर सीखता है ठीक उसी प्रकार इन्सान इन्सान की परख करने से ही सही इन्सान की पहचान करता है।

कवि ने सही कहा है –

  • माँ सी ममता दे हमें, गलती पर दे डांट ।
    मित्र कहाता है वही, दुख जो लेता बाँट ।।

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