नमस्ते दोस्तों आज हम पर्यावरण संरक्षण पर निबंध (Paryavaran Sanrakshan Essay In Hindi) लिखेंगे दोस्तों यह वैश्विक तापमान पर निबंध (Kids) class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12 और College के विद्यार्थियों के लिए लिखे गए है।
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पर्यावरण संरक्षण पर निबंध (Paryavaran Sanrakshan Essay In Hindi)
प्रस्तावना
पर्यावरण एक ऐसा आवरण जिसके आवरण से हम चारो घिरे हुए है। ऐसी कोई जगह नहीं जहा पर्यावरण मौजूद नहीं हो क्योंकि बिना पर्यावरण के जीवन संभव नहीं है। अगर हम पर्यावरण के आवरण से अलग हो जाए तो हम जीवित नहीं रह सकते है।
प्रकृति और पर्यावरण एक दुसरे के पूरक है ये दोनों ही एक दूसरे को चलने के लिए एक निश्चित प्रणाली के तहत कार्य करते है। प्रत्येक वो जगह जहा जैविक-अजैविक, पेड़ पौधे, नदी नाले, वायु. पहाड़, और जीव और निर्जीव पाए जाते है ये ही पर्यावरण है।
पर्यावरण से हम प्रत्येक वो सभी सुख प्राप्त कर सकते है जो हमे चाहिए चाहे वो प्राकृतिक हो या मानव निर्मित कृत्रिम इन सभी का निर्माण बिना पर्यावरण के संभव ही नहीं है।
हम पर्यावरण के संसाधनों से प्रत्येक सुख प्राप्त कर रहे है मगर उसका ख्याल रखने और उसे स्वच्छ रखने की जगह हम अपने मतलब के लिए केवल दोहन कर रहे है चाहे इसके जो परिणाम हो।
मानव को सबसे समझदारी प्राणी माना जाता है जो अपने भला और बुरे के बारे में समझ सकता है मगर जिस पर्यावरण के कारण उसको जन्म मिला आज उसे ही वो नष्ट कर रहा है।
अत: मानव इसी जितनी जल्दी समझ जाए उतना बेहतर है और अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए पर्यावरण सुरक्षित करे अन्यथा जिसका गलत फायदा उठाते है उसका नतीजा भी बुरा होता है क्यूंकि हमारी प्रत्येक अच्छी और बुरी क्रिया का पर्यावरण पर असर पड़ता है।
पर्यावरण संरक्षण हमारे लिए कितना आवश्यक है इसे हम महत्वपूर्ण बिन्दुओ के द्वारा बता कर समाज को जागरूक करना ही हमारा प्रथम उद्देश्य है।
पर्यावरण
पर्यावरण ऐसा आवरण है जो हमारे जीवत रहने के लिए आवश्यक है। जिनसे हम हर समय घिरे रहते है। हम चाहकर भी इससे अलग नहीं हो सकते है इसे ही पर्यावरण कहते है।
आप दुनिया के किसी भी कोने में चले जाए नदी-नाले, पेड़-पौधे, पहाड़, वायु, मिटटी, पशु-पक्षी इन सभी को हम अपने समीप पाते है, यही पर्यावरण का स्वरुप है या ये कहे की इनसे ही पर्यावरण का अस्तित्व है।
प्रकृति और मानव ईश्वर की सबसे सुंदर रचना है। ईश्वर की इस रचित प्रकृति को देखे तो हमे जीव-जंतुओं का शोर पक्षियों की चहचाहट, हरे भरे लहराते पेड़, बर्फ से ढके हिमालय, नदियों की कल कल का शोर, काले काले गरजते बदल मन को आनंदित कर देते है।
प्रकृति ने हमे सभी साधनों का उपयोग मानव के कल्याण के लिए दिया है तो मानव को भी प्रकृति को सुरक्षित रखते हुए उसके साधनों का उपयोग पूरी जिम्मेदारी के साथ करना चाहिए।
पहले के समय मानव और प्रकृति एक दुसरे के सच्चे दोस्त की तरह थे जो एक दुसरे का ख्याल रखते थे। जिससे प्रकृतिक वातावरण शुद्ध और पूर्ण संसाधनों से युक्त रहता था। हर जगह फलो से लादे हुए पेड़-पौधे और पीने के लिए शुद्ध जल मिल जाता था।
मगर अब तो ये एक स्वप्न है। क्यूंकि आप दुनिया के किसी भी कोने में चले जाए। अब आपको पहले की भांति स्वतंत्र रूप से खाने और पीने की चीजे नहीं मिलेगी क्यूंकि मानव केवल स्वार्थपूर्ण तरीके ने इन्हें समाप्त कर दिया है वो केवल उसका उपभोग करता है मगर उसकी पूर्ति करने में रूचि नहीं दिखता है।
आज मगर ऐसा नहीं प्रदूषित होते पर्यावरण के बावजूद मानव इसके महत्त्व को नहीं समझ रहा है और लगातार इसे नुकसान पहुंचा रहा है जो उसे आने वाले सर्वनाश की तरफ ले जा रहा है।
आज मानव के अविष्कार ने असंभव को भी संभव कर दिया है मगर पर्यावरण को बचाने और स्वयं को सर्वनाश से बचने के लिए चंद छोटे से उपाय नहीं कर किये जा रहे है।
मानव पर्यावरण के संसाधन से वह अनन्त लाभ उठा रहा है मगर उसका कर्ज चुकाने या उसकी पूर्ति में करने में उसे ना कोई लाभ नजर आ रहा है और बल्कि उसको ये काम करने में आलस आ रहा है। उसके लिए ये काम समय व्यर्थ करने जैसा है।
इसी का नतीजा है की आज उन सब स्वार्थपूर्ण दोहन का हिसाब पर्यावरण हम सब से ले रहा है। जिसका नुकसान निर्दोष वन्य जीव पशु पक्षी भी भुगतना पड़ रहा है। अभी हमारे पास काफी समय है। अगर पर्यावरण और प्रकृति का संरक्षण के लिए अब भी नहीं जागे तो पूरी मानव जाति का भी विनाश निश्चित है।
पर्यावरण संरक्षण क्यों जरुरी है ?
पर्यावरण ने मानव को अनंत काल वो सभी संसाधन प्रदान किये है जो उसके जीवन के लिए आवश्यक है और मानव ने भी इनका पूरा उपयोग किया है प्राचीन काल में लोग प्राकृति से प्राप्त वस्तुओं से संतुष्ट थे
मगर जैसे जैसे नए साधनों का अविष्कार होता गया लोग बेहतर से बेहतर सुख सुविधाओ की और आकृषित होने लगे इससे जरूरते बढ़ने लगी और अधिक सुख सुविधाओं के लिए मानव अपनी जरूरत को महत्त्व देते हुए प्रकृति के अच्छे -बुरे के विषय में सोचना कम कर दिया है हमे बस आरामदायक और सुख सुविधाओ मिल जाये चाहे इससे किसी को कोई भी नुकसान है
आज जैसे जैसे जनसँख्या बढ़ रही है उतनी ज्यादा जरूरते प्रत्येक व्यक्ति की बढ़ रही है मगर इस बात का ध्यान किसी का नहीं है की ये संसाधन सिमित मात्रा में है और कभी भी समाप्त हो सकते है जिससे दिन पर दिन पर्यावरण विनाश की और बढ़ रहा है
शहरो में प्रदूषण बढ़ने के साथ इनका क्जाषेत्र भी बढ़ता जा रहा है जिनके लिए लाखो पेड़ पौधे काटे जा रहे है खाने और पैसे कमाने के लिए निर्दोष जीव जंतु मारे जा रहे है जिससे पर्यावरण को बहुत नुकसान पहुँच रहा है
आज जिस प्रकृति ने हम बिना किसी स्वार्थ के सब कुछ दिया हमे हर प्रकार की सुख सविधा दी आज हम अपने को फायदा पहुचने के लिए उसकी चिंता करना छोड़ दिया है इसलिए प्रकृति का संतुलन बिगड़ता जा रहा है
आज हमारे स्वार्थ के कारण निर्दोष जीव जंतु भी प्रदूषण का कष्ट झेल रहे है पर्यावरण प्रदूषण में सबसे ज्यादा दुष्प्रभाव जैसे अणु विस्फोट से रेडियोधर्मी पदार्थ निकलने से आनुवांशिक प्रभाव है
हमारा बचाव करने वाली ओजोन परत में भी आज बड़े बड़े गड्ढे पड़ गये है जिनसे होकर गुजरने वाली सूर्य की पराबैंगनी निष्क्रिय हो जाती है जो हमारे लिए नुकसानदायक है
बढ़ते प्रदूषण से मौसम की प्रणाली बदलने से बाढ़, सुखा और अतिवृष्टि और अनावृष्टि जैसे हालत हो गये है पर्यावरण में उपलब्ध को नुकसान पहुच रहा है जिसमे भूमि का कटाव, अत्यधिक ताप वृद्धि, हवा – पानी का प्रदूषित होना, पेड़ पौधों का विनाश, नए नए रोग उत्पन्न हो रहे है ।
पर्यावरण संरक्षण का महत्व
प्राचीन काल से ही पर्यावरण का बहुत महत्व रहा है, पहले मनुष्य प्रकृति के साथ साथ चलता था जहा वो पर्यावरण के साधनों का उपयोग करते हुए उनका संतुलन बनाने के लिए पेड़ पौधे लगाकर उनकी पूजा करता था यहाँ तक हमारे ऋषि मुनियों पर्यावरण को शुद्ध करने के लिए यज्ञ किया करते थे
हमारे भारत में पर्वत, नदियां, वायु, आग, ग्रह नक्षत्र, पेड़ पौधे आदि सभी का महत्त्व पुराणों में बताया गया है आज जिस गंगा को हम माँ कहते है उसे भी हम गंदा करने में नहीं हिचकिचाते है
ऋषि मुनियों ने पर्यावरण और मानव दोनों के बींच में सम्बन्ध स्थापित क्योंकि वे जानते है पर्यावरण ही पृथ्वी पर जीवन का आधार है। अतः उन्होंने अपने ग्रंथो में प्रकृति और पर्यावरण के संरक्षण की ही बात कही। वेदों में भी कहा गया है –
‘ॐ पूर्णभदः पूर्णामिदं पूर्णात्पूर्णमुदच्यते।
पूर्णस्य पूर्णमादाय पूर्णमेवावशिष्यते॥’
अर्थात् हमें प्रकृति की सीमा और अपनी महत्वपूर्ण आवश्यकता तक ही उसका उपयोग करना चाहिए और अपने के लिए प्रकृति को नुकसान नहीं पहुंचना चाहिए।
आज कोई भी पर्यावरण के संरक्षण का महत्व नहीं समझ रहा है। जो हमे विनाश की और अग्रसर कर रहा है पर्यावरण की स्थति को गंभीर मानते हुए सन् 1992 में ब्राजील में पृथ्वी सम्मेलन का आयोजन भी किया गया।
जिसमें 174 देश शामिल हुए। उसके बाद जोहान्सबर्ग में भी सन् 2002 में पृथ्वी सम्मेलन का आयोजन हुआ, जिसके अन्तर्गत सारे देशों को पर्यावरण संरक्षण करने के लिए उपयोग से अवगत करवाया गया ।
पर्यावरण संरक्षण के उपाय
पर्यावरण संरक्षण के लिए हमें सर्वप्रथम इस धरती को प्रदूषण रहित करना होगा। सबसे पहले अपनी आरामदायक आदतों को सुधारते हुए अनावश्यक वस्तुओं के उपयोग को कम करना होगा
आज कल हमारी आदते ऐसी हो गयी है की हम मेहनत करना ही नहीं चाहते है बस किसी साधन से किसी कार्य को जल्दी पूरा करना चाहते है और यही से उस वास्तु की आवश्यकता मानव के दिमाग में नए नए अविष्कार को जन्म देती है जो प्रकृति के संसाधनों का अधिक हनन करना शुरु कर देती है
जनसंख्या वृद्धि के कारण प्रदूषण भी बढ़ता ही जा रहा है, ये किसी भी देश की सबसे बड़ी समस्या है क्योंकि जनसंख्या वृद्धि ही सभी प्रकार के प्रदूषण के लिए जिम्मेदार है सबसे पहले इसे नियंत्रण करना आवश्यक आवश्यक है तभी हमारे पर्यावरण का संरक्षण हो पाएगा।
मनुष्य दिन प्रतिदिन प्रगति करता जा रहा है और इस विकास के कारण प्रदूषण में वृद्धि होती जा रही है। ओजोन परत नष्ट होती जा रही है प्रदूषण से धरती के तापमान में बेहताश वृद्धि होती जा रही है जिससे ध्रुवों पर ग्लेशियर पिघल रहे हैं। अतः पर्यावरण संरक्षण हमारी सर्वप्रथम जिम्मेदारी बनती है।
सन् 1986 में भारत की संसद ने पर्यावरण की सुरक्षा के लिए एक अधिनियम बनाया जिसे पर्यावरण संरक्षण अधिनियम कहते हैं। जब मध्यप्रदेश स्थित भोपाल में गैस लीक होने से दुर्घटना हुई थी, तब इसे पारित किया गया था।
यह बहुत बड़ी ओद्यौगिक दुर्घटना थी, जिसमें करीब 2,259 लोग की मौत हो गयी थी इसका कारण हवा में फैली मिथाइल आइसोसाइनेट नामक गैस थी हवा में इसका संचरण होने के कारन ज्यादा लोग इसकी चपेट में आ गए थे।
पर्यावरण संरक्षण अधिनियम के अनुसार पर्यावरण की सुरक्षा और प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के बारे में गंभीरता से लेते हुए पर्यावरण में सुधार के लिए कठोर कानून की आवश्यकता है चाहे वो मजबूर करके ही लागु हो क्योंकि इंसानों की ये आदत है की वे इसे अपनी जिम्मेदारी नहीं समझते और ना ही इसकी चिंता करते है
पर्यावरण प्रदूषण को रोकने के लिए हम सभी को एक जुट होकर प्रयास करने होंगे। इसे रोकने के लिए निम्न उपाय कर सकते हैं।
- फैक्ट्री और घरों से निकलने वाला गंदा पानी जिनका निकास नदियों और समुद्र में किया जाता है उसे गंभीरता से लेते हुए तुरंत कार्यवाही करनी होगी ये पानी पीने और कृषि कार्यो में उपयोग में लिया जाता है जिसका सीधा संपर्क हमारे स्वाथ्य से जुड़ा होता है
- वायु प्रदूषण से ही पर्यावरण दूषित हो रहा है। हमें वायु प्रदूषण पर नियंत्रण करने के घरेलु कार्य में जुल्हे जलाने और अन्य दहन के कार्यो को बंद करना होगा
- प्रदूषण फैलने से रोकना के लिए सरकार ने जिस तरह स्वच्छ भारत अभियान को प्रभावी बनाकर लोगो की आदत सुधारी है उसी तरह प्रदूषण रोकने की आदत दैनिक रूप से बनानी होगी
- प्रदूषण को रोकने के लिए बैटरी और सौर उर्जा से चलने वाले सयंत्र और वाहनों को सुनिश्चित करें
निष्कर्ष
पर्यावरण को सुरक्षित रखना जरुरी है पर्यावरण ही जीवन है क्योंकि पर्यावरण से पृथ्वी पर जीवन है अगर ये ही नहीं रहेगा तो हम कैसे जीवित रहेंगे इसलिए जितना ख्याल हम अपने शरीर करते है उतना ही हमे पर्यावरण का ख्याल रखना होगा
जब पर्यावरण ने वो सब कुछ दिया है जो हमारे लिए जरुरी है तो हम पर्यावरण को सुरक्षित रखने का एक छोटा सा काम क्यों नहीं कर सकते है इसलिए अगर जीवित रहना है तो हमे पर्यावरण को सुरक्षित रखना होगा तभी हम आगे का आराम और सुखदायी जीवन व्यतीत कर सकते है।
पर्यावरण संरक्षण हमारा फर्ज है और इसकी जिम्मेदारी हम सभी की है। हमे जितना हो सके उतना पर्यावरण को दूषित होने से बचाना चाहिए और प्रदुषण को रोकने के उपायों को अपनी आदतों में शामिल करना चाहिए ।
तो दोस्तों ये था पर्यावरण संरक्षण पर निबंध (Paryavaran Sanrakshan Essay In Hindi) पर निबंध उमीद करता हूँ आपको ये निबंध जरुर पसंद आया होगा पसंद आये तो इसे अपने दोस्तों को जरुर शेयर करे
धन्यवाद
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