महिला सशक्तिकरण पर निबंध (Essay On Women Empowerment In Hindi)

महिला सशक्तिकरण पर निबंध (Essay On Women Empowerment In Hindi)

नमस्ते दोस्तों आज हम महिला सशक्तिकरण पर निबंध (Essay On Women Empowerment In Hindi) लिखेंगे दोस्तों यह वैश्विक तापमान पर निबंध (Kids) class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12  और College के विद्यार्थियों के लिए लिखे गए है।

हमारी Website पर आप 10 Lines Short Essay भी पढ़ सकते है।। इस (mahila sashaktikaran par nibandh) का वीडियो जल्द ही उपलब्ध हो जायेगा । वेबसाइट के सभी लेखो के विडियो देखने के लिए हमारे YouTube Channel पर जाये। आपसे निवेदन है। की हमारे Channel को Subscribe Now करें।


महिला सशक्तिकरण पर निबंध (Essay On Women Empowerment In Hindi)


प्रस्तावना 

प्राचीन काल से ही स्त्री को देवी माँ का रूप मान कर उनकी पूजा की जाती है ग्रंथों में नारी के महत्त्व को एक श्लोक द्वारा बताया गया है कि “यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता:” अर्थात जहाँ नारी की पूजा होती है, वहाँ देवता निवास करते है और जहा अपमान और तिरस्कार होता है वहा असफलता और विनाश होता है

नारी के महत्त्व को सभी जानते है सभी का जन्म स्त्री के गर्भ हुए हुआ मगर फिर भी सशक्तिकरण जैसे शब्दों की आवश्यकता महसूस हो रही है।

आप अपने माँ को सुबह से लेकर शाम तक काम में व्यस्त देखते है क्या यही काफी नहीं है उसके महत्त्व को समझने के लिए, पता नहीं  ऐसे कितने कष्ट वो सालो से सहती हुई परिवार का पालन-पोषण कर रही है

प्राचीन काल से ही सभी अधिकार पुरषों के हाथ में होते थे चाहे वो स्त्री का ही अधिकारों हो, उस पर भी पुरुष अपना वर्चस्व रखते थे जैसा वो कहते वैसा ही स्त्री को करना होता था इसी भावना के कारण पुरुष स्त्री को अधिक महत्व ना देते हुए उसे अपने से नीचा समझते थे

ये अधिकार पुरषों के लिए एक रुढ़िवादी परम्परा के तरह हो गये जिन्हें आज भी निभाया जाता है और इसलिए आज भी पुरुषो स्त्री पर अपनी मर्जी थोपते है इसलिए स्त्री पर अत्याचार होते है यही कारण है की आज महिला ने सशक्तिकरण की आवाज  उठाई है


महिला सशक्तिकरण का अर्थ (Meaning /definition of Women Empowerment)


महिला सशक्तीकरण की परिभाषा को आसानी से समझ सकते है। सशक्तिकरण मतलब महिला की शक्तिशाली जिसमे वह अपने जीवन से जुड़े सभी निजी फैसले करने का अधिकार रखती है और परिवार और समाज में अच्छे से रह सकती है।

स्त्री को उनके अधिकार से अवगत करवाकर उन्हें सक्षम बनाना महिला सशक्तीकरण है। इसमें ऐसी ताकत है कि वह समाज और देश में बदलाव ला सकती। उसके निर्णय और राय को समझते हुए वे पुरुषों से बेहतर ढंग से निपटा सकती है।

महिला की गंभीर स्थति को देखते हुए इस पर कदम उठाये गये है बाकि जिस सशक्तीकरण की बात कर रहे है वो अधिकार मनुष्य के जन्म से महिलाओं का है बस इस पर जमे पुरषों के वर्चस्व को ख़त्म करने के लिए इसका बिगुल बजाय गया है।


शिक्षा की कमी 


महिला सशक्तिकरण को मजबूत बनाने में शिक्षा का सबसे अहम योगदान है लेकिन लड़के और लड़की में फर्क होने के कारण लड़की को उचित शिक्षा नहीं मिल पाती इसीलिए अधिकतर माँ बाप अपनी बेटियों को पढ़ने के लिए नहीं भेजते है।

उनकी ये सोच है पढ़ लिख कर क्या करेगी उसे तो परिवार संभालना है और घर काम करना है। जबकि ये सोच बहुत गलत है बल्कि उनको ये सोचना चाहिए अगर हम अपनी बेटियों को शिक्षित करेंगे तो उन पर कोई अत्याचार नहीं कर पाएगा।

दहेज के मामले में भी यही है। शादी होने पर ससुराल पक्ष द्वारा या अन्य कोई भी अत्याचार या शोषण करता है, जिसे वह चुपचाप सहती ले इसके दो वजह है एक शिक्षा की कमी के कारण उसे अपने अधिकार मालूम नहीं होते है।

दूसरा उसका अपने अधिकारों के प्रति विश्वास और मनोबल कमजोर होना है इसलिए वो हिम्मत नहीं जुटता पाती है। इसका मुख्य कारण महिला सशक्तिकरण की कमी का होना है। दहेज मांगने वालों को यदि यह पता चले कि लड़की पढ़ी-लिखी है और अधिकारों के प्रति जागरूक है तो दहेज मांगने और उस पर अत्याचार करने से पहले वह 10 बार सोचेंगे।

यदि प्रत्येक महिला को शिक्षा मिलेगी तो अपनी सुरक्षा और देश व समाज के विकास में अपना योगदान दे सकेगी इसलिए महिला का शिक्षित होना जरुरी है और ये उसका अधिकार भी  है।


प्राचीन रूढ़िवादिता  


प्राचीन काल से ही स्त्रियों को पुरुष से नीचे समझा जाता है। महिला अपने पति को पति परमेश्वर मानते हुए पतिव्रता का धर्म निभाती हुई उसकी हर आज्ञा का पालन करती थी। पुरुष जैसा बोलते थे स्त्री वैसा ही करती थी।

इसी कारण पुरुषों ने स्त्रियों के अधिकार पर भी अपना ही वर्चस्व जमा लिया मगर जब स्त्री  कुछ भी बोलने का प्रयास करती तो पुरुष उनके साथ दुर्व्यवहार करते थे, इस कारण महिला उनके सामने बोलने की हिम्मत नहीं जुटा पाती थी।

धीरे-धीरे उनके मन में यह भ्रांति बैठ गई कि उनके स्वयं के कोई अधिकार नहीं है। सभी अधिकार पुरुष को है और उनको केवल पुरुषों के अनुसार ही चलना है इसी प्रकार उनका विश्वास अपने अधिकारों के प्रति धीरे-धीरे समाप्त हो गया।

महिला सशक्तिकरण का आज इसलिए जरुर हुई है की उस खोये हुएअधिकारों और कमजोर मनोबल को फिर से मजबूत करते हुए महिला को जागरूक करना है जिससे वो अपने अधिकार बिना किसी डर से मांग सके।


महिला सशक्तीकरण का महत्त्व (importance of women empowerment)


भारत की आधी आबादी महिलाओं की है। विश्व बैंक की एक रिपोर्ट के अनुसार अगर महिला श्रम में योगदान दे तो भारत की विकास दर दहाई की संख्या में होगी मगर कुछ लोग ही महिला को रोजगार करने की अनुमति देते है।

लोग ये सोचते है अगर वे महिला को नौकरी के लिए भेजेंगे तो उसकी क्या इज्जत रहेगी और ये सब काम इनका नहीं है इनको बस घर संभालना चाहिए। वही नवयुवको को इस बात की चिंता रहती है की अगर सारी महिलाएं नौकरी पर जाने लगी तो उनके ऊपर नौकरी मिलने का खतरा बढ़ा जाएगा।

पुरुष कही भी किसी भी समय कही भी जा सकता है। वही महिलाओं निर्माण कार्यों में महिलाओं के लिए पालना घर या शिशुओं के लिए पालन की सुविधा मुहैया कराना जरूरी होता है। ये सभी कारण महिलाओं के विकास में बाधक बन जाते है।

महिला सशक्तीकरण से प्रत्येक महिला को अपने निजी फैसले लेने का अधिकार मिलेगा वह अपनी इच्छा से किसी भी कार्यो को करने के लिए स्वतंत्र हो होगी जो उसे अपने अधिकार के प्रति जागरूक और  उनके विश्वास और  मनोबल को मजबूत बनाएगा

आज महिलाओ के साथ इसलिए दुर्व्यवहार होते है क्यूंकि वो उनको चुपचाप अन्याय सहती रहती है इसका सबसे बड़ा कारण महिलाओं में सशक्तिकरण कमी का होना है।

महिला सशक्तीकरण से जब महिला को अपने इच्छा से जीवन जीने का अधिकार मिलेगा तो  वह आत्म निर्भर बनेगी और सफलता पाने के लिए अपनी इच्छा से अलग-अलग  क्षेत्रो में भाग लेगे हुए देश और समाज के विकास में अहम योगदान दे सकेगी

महिला सशक्तीकरण से भ्रूण हत्या के मामले कम होंगे कोई भी उसे भ्रूण हत्या के लिए मजबूर नहीं कर पायेगा। जिससे लड़का-लड़की के मध्य भेदभाव में सुधर हो सकेगा

न्यायलयों में चल रहे तलाक के केसों की संख्या कम होगी। घरेलु हिंसा और अपराधिक घटनाओं पर लगाम लगेगी। जो महिलाओं की हिम्मत बढाने का काम करेगी और इससे वहा अपने साथ हो रहे अत्याचारों से डट कर सामना कर सकेगी रहेगी।

देश में योन शोषण और बलात्कार की शिकार महिलाएं किसी को कुछ भी बताने से डरती है क्यूंकि प्राचीन रूढ़िवादिता ने उसके अधिकार को कमजोर मनोबल और निराशा ने दबा दिया है इसलिए उन्हें वे कुछ नहीं कर सकती है मगर अधिकार के द्वारा ही किसी भी मुसीबत से लड़ा जा सकता है यही भावनाएं महिलाओं में जागृत करना हमारा उदेश्य है।


महिला सशक्तीकरण के लिए दिए गए अधिकार


  • समान वेतन का अधिकार – समान पारिश्रमिक अधिनियम के अनुसार वेतन का भुगतान स्त्री और पुरुष के मध्य भेदभाव के आधार पर नहीं होना चाहिए |
  • कार्य-स्थल में उत्पीड़न के खिलाफ कानून – यौन उत्पीड़न अधिनियम के तहत महिला को  कार्य स्थल पर यदि किसी महिला के साथ अभद्रव्यवहार किया जाता है तो वो यौन उत्पीड़न के खिलाफ शिकायत दर्ज कराने का पूरा हक है। केंद्र सरकार ने भी महिला कर्मचारियों के लिए नए नियम लागू किए हैं, जिसके तहत कार्य स्थल पर यौन शोषण के शिकायत दर्ज होने पर महिलाओं को जांच लंबित रहने तक 90 दिन का पैड लीव दी जाएगी।
  • कन्या भ्रूण हत्या के खिलाफ अधिकार – भारत के हर नागरिक का यह कर्तव्य है कि वह एक महिला को उसके मूल अधिकार ‘जीने के अधिकार’ का अनुभव करने दें। गर्भाधान और प्रसव से पूर्व पहचान करने की तकनीक लिंग चयन पर रोक अधिनियम (PCPNDT) कन्या भ्रूण हत्या के खिलाफ अधिकार देता है।
  • संपत्ति पर अधिकार – हिंदू उत्तराधिकारी अधिनियम के तहत नए नियमों के आधार पर पुश्तैनी संपत्ति पर महिला और पुरुष दोनों का बराबर हक होना चाहिए।
  • गरिमा और शालीनता के लिए अधिकार – किसी मामले में अगर महिला दोषी पाई जाती है तो उस पर की जाने वाली कोई भी चिकित्सा जांच प्रक्रिया किसी महिला द्वारा या किसी दूसरी महिला की उपस्थिति में ही की जानी चाहिए।
  • महिला सशक्तीकरण – महिलाओं का पारिवारिक बंधनों से मुक्त होकर अपने और अपने देश के बारे में सोचने की क्षमता का विकास होना ही महिला सशक्तीकरण कहलाता है।

महिला सशक्तिकरण के कारण से हुए बदलाव।


  1. सशक्तिकरण  के करण महिलाओं ने हर कार्य में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेना शुरू किया है।
  2. महिलाएँ अपनी जिंदगी से जुड़े फैसले खुद कर रही हैं।
  3. महिलाएँ अपने हक के लिए लड़ने लगी हैं और धीरे धीरे आत्मनिर्भर बनती जा रही हैं।
  4. पुरुष भी अब महिलाओं को समझने लगे हैं, और उनको पुरे सम्मान के साथअधिकार देते हुए कदम मिलते हुए उनके साथ चल रहे है
  5. पुरुष अब महिलाओं के फैसलों की इज्जत करने लगे हैं। कहा भी जाता है कि – हक माँगने से नही मिलता छीनना पड़ता है और    औरतों   ने अपने हक अपनी काबिलियत से और एक जुट होकर मर्दों से हासिल कर लिए हैं।
  6. आजकल के माता पिता अपनी बेटियों को पूरी छुट देते हुए अपनी मर्ज़ी से जीने का अधिकार दे रहे है। जिससे वो सभी क्षेत्र में आगे बढ़ते हुए देश का नाम रोशन कर रही है।

उपसंहार


महिला सशक्तिकरण से महिलाओं में शक्ति का प्रसार हुआ है जिससे वे हर कठनाई का डट कर सामना कर रही है।  महिलाओं की गंभीर स्थति को देखते हुए महिला सशक्तिकरण पर जोर दिया गया है।

महिला सशक्तिकरण  का उद्देश्य महिलाओं को उनका खोया हुआ अधिकार वापस दिलाना है ताकि वो पूरी आजादी से अपने निर्णय लेते हुए अपनी क़ाबलियत से समाज और देश के विकास में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे सके।

 हमे हमेशा महिलाओं का सम्मान करना चाहिए और उनपर अपनी मर्जी थोपना छोड़ उनको स्वतंत्र रूप से अपने अधिकार लेने दे और किसी भी कार्य में उनकी राय लेते हुए महिला सशक्तिकरण में अपना योगदान दे।

12 thoughts on “महिला सशक्तिकरण पर निबंध (Essay On Women Empowerment In Hindi)”

  1. Hi! I’m at work browsing your blog from my new iphone
    4! Just wanted to say I love reading your blog and look forward to all your posts!

    Keep up the superb work!

  2. Does your blog have a contact page? I’m having problems locating it but, I’d like to send you an email.
    I’ve got some creative ideas for your blog you might be
    interested in hearing. Either way, great site and I look forward to seeing it grow over time.

Leave a Comment